गजल। दुष्यंत कुमार 11th आरोह।Gajal Dushyant Kumar

अभ्यास के प्रश्नोत्तर।

 प्रश्न 1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है ? समझाकर लिखें।

उत्तर- निश्चित रूप से गुलमोहर ग्रीष्म ऋतु में लहलहाने वाला फूलदार वृक्ष है पर कवि ने इसके द्वारा सांकेतिक अर्थ को प्रकट किया है। यह घना छायादार पेड़ अपने घर, नगर और देश में प्राप्त होने वाले कष्टों से राहत प्राप्त होने का प्रतीक है। यह हमारे जीवन का आधार है। यह परायों के सुखों और जीवन का भी प्रतीक है। हम अपना जीवन जीते हुए दूसरों के जीवन को सुखमय बनाए ऐसा कवि चाहता है।


प्रश्न 2. पहले शेर में 'चिराग' शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इस का क्या महत्त्व है ?

उत्तर – कवि ने पहले शेर में 'चिरागों' शब्द का बहुवचन रूप में प्रयोग किया है जो हर घर को सरकार की ओर से दिए जाने वाली सुख-सुविधाओं का द्योतक है। दूसरी बार कवि ने 'चिराग' शब्द का एकवचन में प्रयोग किया है जो जनता को सुख आराम प्रदान करने वाली केंद्रीय सत्ता का बोध कराता है। सरकार का कार्य है कि वह जनता को सुख-सुविधाएँ प्रदान कराने की व्यवस्था करे पर सरकार ही ऐसी नहीं है जो ऐसा कर सके। कवि ने एक ही शब्द का प्रतीकात्मक और लाक्षणिक शब्द कर के अपनी कल्पना क्षमता का अद्भुत परिचय दिया है।

प्रश्न 3. ग़ज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है ? उत्तर- कवि ने इस शेर में उन लोगों की तरफ संकेत किया है जो किसी भी स्थिति को सहज रूप से स्वीकार कर लेने को तैयार रहते हैं। अन्याय होने पर भी वे विरोध का स्वर ऊँचा नहीं करते बल्कि उस अन्याय को अपना भाग्य मान लेते हैं।

प्रश्न 4. आशय स्पष्ट करें-

तेरा निज़ाम है सिल दे जुबान शायर की

 ये एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए।

उत्तर- शायर अपने भावों को प्रकट करता है, अन्याय करने के लिए सरकार का विरोध करता है, जनता को जागरूक बनाता है इसलिए शायर को भय है कि सरकार उसकी जुबान को सिल देगी, सदा के लिए शांत कर देगी। छंद के बंधन की जो आवश्यकता गजल को होती है वैसा ही भय सरकार को भी डराता है इसलिए वह किसी भी स्थिति को उत्पन्न कर सकती है।



गज़ल के आस-पास


प्रश्न 1. दुष्यंत की इस गजल का मिजाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें।

उत्तर- दुष्यंत समाज की पीड़ा को समझता है और सरकार के द्वारा जनता के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे भी जानता है। उसकी दृष्टि में सरकार सामान्य लोगों के दुःख-दर्द को दूर करने का कोई ठोस प्रयत्न नहीं कर रही इसलिए आवश्यक है कि कोई ऐसी सरकार लायी जाए जो जनता की पीड़ा को दूर कर सके। वह परिवर्तन चाहता है- लोगों की सोच में, विचारधारा में और स्वभाव में वह सरकार की नीतियों में परिवर्तन चाहता है। उसकी गजल का मिज़ाज बदलाव चाहने वाला है।


प्रश्न 2. हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,

दिल के खुश रखने को गालिब से ख्याल अच्छा है।

दुष्यंत की गजल का चौथा शेर पढ़ें और बताएं कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है ?

 उत्तर – मनुष्य जीवन के सुखों के बारे में सोचता है, भगवान् का भरोसा कर स्वर्ग के सुखों की कल्पना करता है। कोरे सपनों के सुखों से मन बहलाना चाहता है। गालिब भी जन्नत की हकीकत को समझते हैं और दुष्यंत भी इसे जानते हैं पर जमीनी वास्तविकता को समझते हुए वे दोनों कल्पना के अहसास से बटोरी हुई प्रसन्नता के महत्त्व को भी जानते हैं। पल भर का काल्पनिक सुख हो तो जीने की इच्छा को बढ़ाता है। इस धरती की कठोरता स्वर्ग के सुख आम आदमी को प्रदान नहीं कर पाती पर फिर भी उसे क्षणिक आहलाद तो अवश्य प्रदान कर देती है।

परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्न


प्रश्न 1. दुष्यंत कुमार की गजल के आधार पर उनकी भाषा की विशेषताएं लिखिए।


उत्तर- दुष्यंत कुमार का हिंदी में रचित गजल-साहित्य में विशिष्ट स्थान है। खड़ी बोली में रचित गजलों में उर्दू और फारसी शब्दावली का अधिकता से प्रयोग किया गया है। कवि ने लाक्षणिकता और प्रतीकात्मकता का प्रयोग कर कथन को गहनता गंभीरता प्रदान की है। गजलों की भाषा में स्पष्टवादिता के साथ कोमलता विद्यमान है।


प्रश्न 2. 'साये में धूप' गजल का मूलभाव अथवा प्रतिपाद्य स्पष्ट स्पष्ट कीजिए।


उत्तर — प्रस्तुत गजल में कवि ने समाज में व्याप्त राजनीतिक अव्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए लोगों को इस - दशा को बदलने की प्रेरणा दी है। कवि को आशा थी कि स्वतंत्रता के बाद देश की दशा सुधरेगी, परंतु अब तो और भी अधिक बुरी दशा हो रही है। हमें सहारा देने वाला शासन ही हमारे लिए कष्टकारी बन गया है। हम इतने अधिक दबे-कुचले हैं कि विद्रोह भी नहीं कर सकते। वे ईश्वर के नाम पर भाग्यवादी बने सुखद सपनों में खोए हुए हैं। यह संवेदनहीन शासन व्यवस्था इनका दर्द तो नहीं समझ सकती परंतु सामूहिक आवाज़ शासन को भी बदल सकती है। इसलिए कवि इनके मन में क्रांति की भावना जगाना चाहता है और वास्तविक स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत रहना चाहता है।

प्रश्न 3. कवि ने देश की राजनीतिक स्थिति पर क्या व्यंग्य किया है ?

उत्तर - कवि देश की राजनैतिक अव्यवस्था के बारे में वर्णन करता हुआ कहता है कि देश की आज़ादी प्राप्त कर लेने के बाद यह तय हुआ था कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुख-सुविधा रूपी चिराग निश्चित रूप से प्रदान किए जाएंगे। परंतु आज तो स्थिति यह है कि एक को तो क्या पूरे शहर को रोशनी देने के लिए एक भी चिराग उपलब्ध नहीं है। लोगों को विभिन्न प्रकार की सुख-सुविधाएं उपलब्ध करवाने के आश्वासन दिए गए थे, परंतु वे तो केवल आश्वासन ही सिद्ध हुए। किसी को भी जीने के लिए सुख-सुविधाएँ नहीं मिल पाई हैं। राजनीतिज्ञ बड़े-बड़े सपने तो जनता को दिखाते हैं पर वे जनता को सिवाय भुलावे में रखने और धर्म धारण करने के अतिरिक्त कुछ नहीं देते हैं।

प्रश्न 4. कवि का 'दरख्तों के साये में धूप लगती है' से क्या आशय है ?

उत्तर - कवि ने यहाँ राजनैतिक क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्था पर कटाक्ष किया है। जनता को जो अनेक प्रकार की सुख- सुविधाएँ उपलब्ध करवाई गई थीं वही सुविधाएँ आज जनता के लिए दुःख का पर्याय बन गई हैं। अदालतों की स्थापना न्याय के लिए तो अस्पतालों की स्थापना चिकित्सा के लिए की गई थी। परंतु आज अदालतों में न्याय नहीं रहा है। लोगों को अपनी सुविधाओं से ही दुःखों की प्राप्ति होने लगी है। जब अपने ही वृक्ष छाया देने की अपेक्षा धूप के ताप का अनुभव कराने लगें तो वहाँ से चले जाना ही बेहतर है। राजनैतिक क्षेत्र से किसी भी प्रकार की कोई अपेक्षा रखना व्यर्थ है। नेताओं ने शासन संभाला था जनता को सुख देने के लिए पर वही जनता के लिए दुःखों का बड़ा कारण बन गए।

प्रश्न 5. कवि ने वर्तमान राजनीति का कैसे वर्णन किया है और वह उसे कैसे बदलना चाहता है ?


उत्तर - कवि के अनुसार वर्तमान समय में राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्र में फैली बुराइयों, भ्रष्टाचार, बेईमानी आदि को देख-देखकर जनता इनकी आदी हो गई है। उन्हें विश्वास हो चला है कि ये समस्याएँ अब समाप्त नहीं होंगी। जिस प्रकार पत्थर का पिघलना संभव नहीं है, उसी प्रकार इन परिस्थितियों का बदलना भी संभव नहीं है। कवि का मानना है कि परिस्थितियाँ बदल सकती हैं परंतु शर्त यह है कि आवाज़ में असर हो। इन समस्याओं के समाधान के लिए विद्रोह भरे स्वर की आवश्यकता है। समस्याओं का विरोध कर उन्हें अस्वीकारने की जरूरत है, न कि उनके साथ रहकर जीवन जीने की आदत डालने की। जो जनता पर अत्याचार करता है उसके विरोध में जनता को आवाज़ अवश्य उठानी चाहिए तभी परिवर्तन हो सकेगा। इस प्रकार कवि क्रांति के द्वारा वर्तमान राजनीति का चेहरा बदलना चाहता है।


प्रश्न 6. शासन की क्रांति के प्रति क्या भावना होती है ?


उत्तर- शासन क्रांति की आवाज़ को दबा देता है। जिसका शासन होता है वह अपने बल पर कवि के विद्रोही स्वरों को उसी प्रकार से बंधनों में बांध देता है जैसे कोई शायर अपनी ग़ज़ल को छंदबद्ध करता है। शासक वर्ग सदा विद्रोह तथा क्रांति को दबाता आया है।


प्रश्न 7. कवि का सपना क्या है ?


उत्तर - कवि का सपना यह है कि आज की इस निराशाजनक स्थिति तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मानव को निराश नहीं होना चाहिए। हमें ईश्वर पर विश्वास न होते हुए भी उसके अस्तित्व को स्वीकार करना चाहिए तथा अपने अंदर दया, क्षमा, त्याग, परोपकार आदि गुणों का विस्तार कर जन-कल्याण में लग जाना चाहिए।


प्रश्न 8. गुलमोहर के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ? उत्तर- गुलमोहर के माध्यम से कवि ने यह कहा है कि हमें सदा अपने देश और समाज का कल्याण करना चाहिए। हम चाहे कहीं भी रहें हमें अपने देश के लिए जीना और मरना चाहिए। समाज कल्याण 2/4 साथ-साथ स्वदेश रक्षा के लिए कटिबद्ध रहने का कवि ने संदेश दिया है।


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