विशेष लेखन:- स्वरूप और प्रकार।12cbse/hbse
प्रश्न 1. विशेष लेखन क्या होता है? समाचार पत्र में इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर : जब कोई पत्रकार या पेशेवर व्यक्ति किसी विशेष विषय जैसे-खेल, व्यापार, शिक्षा, अपराध, रक्षा आदि का ज्ञाता हो और वह उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों, समस्याओं आदि का बारीकी से विश्लेषण कर उसे पाठकों के लिए प्रस्तुत करें, तब उसके इस लेखन को विशेष लेखन कहा जाता है।
विशेष लेखन से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य : -
(i) विशेष लेखन के लिए पत्रकार या संवाददाता को किसी एक विषय में गहरी रुचि तथा उसका व्यापक ज्ञान होना जरूरी है।
(ii) विशेष लेखन का कार्य वेतनभोगी या अंशकालिक या फोलांसर पत्रकार भी कर सकता है।
(iii) यह भी आवश्यक नहीं है कि विशेष लेखन केवल पत्रकार द्वारा ही लिखे जा सकते हैं। रक्षा, विज्ञान, कृषि, शिक्षा आदि से जुड़े वैज्ञानिक, विशेषज्ञ भी समाचार पत्र के लिए विशेष लेखन लिख सकते हैं।
विशेष लेखन का महत्त्व : (i) समाचार पत्र में विशेषज्ञ द्वारा लिखा गया विशेष लेखन अधिक विश्वसनीय माना जाता है। (ii) विशेष लेखन के माध्यम से साधारण जनता को किसी भी विषय के बारे में पहत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दी जा सकती है। (iii) चूँकि विशेष लेखन उस विषय के विशेषज्ञ द्वारा ही लिखा जाता है, अतः ऐसी दशा में उसके लेखन से सामान्य पाठक उस विषय से संबंधित सरकारी नीतियों, निर्णयों आदि का समूचा मूल्यांकन करने vec H सक्षम हो जाता है।
प्रश्न 2. बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है? स्पष्ट करें।
उत्तर - बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में अंतर निम्नलिखित है।
बीट रिपोर्टिंग-
(1)बीट रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार को संवाददाता कहते हैं।
(2) बीट रिपोर्टिंग में संवाददाता की रुचि व ज्ञान के आधार पर काम का विभाजन सौंपा जाता है।
(3) यह पत्रकारिता की आरंभिक अवस्था है।
(4) इसमें घटना, सूचना से संबंधित तथ्यों को ही प्रस्तुत किया
जाता है।
(5) यह कार्य प्रायः पत्रकार द्वारा ही किया जा सकता है।
विशेषीकृत रिपोर्टिंग:-
1.विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार को विशेष संवाददाता
कहा जाता है।
2.विशेषीकृत रिपोर्टिंग में विशेष संवाददाता अपने विषय के आधार पर ही रिपोर्टिंग करता है।
3. यह पत्रकारिता की परिष्कृत अवस्था है!
4.इसमें घटना, सूचना आदि से संबंधित तथ्यों, उनका सूक्ष्म विश्लेषण व आँकड़ों को भी प्रस्तुत किया जाता है।
5. यह कार्य किसी क्षेत्र अथवा विषय के विशेषज्ञ, वैज्ञानिक या अनुभवी व्यक्ति ज्वारा भी किया जा सकता है।
प्रश्न 3. विशेष लेखन की भाषा और शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : चूँकि विशेष लेखन भी एक प्रकार की पत्रकारिता ही है, अतः उसकी भाषा-शैली पर भी सामान्य लेखन के नियम लागू होते हैं, फिर भी इसकी भाषा-शैली में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिएँ :
(i) विशेष लेखन की भाषा सरल, सहज और बोधगम्य हो।
(ii) इसमें छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
(iii) चूँकि प्रत्येक विषय की अपनी पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग होता है, अतः विशेष लेखन के लिए उस विषय के पारिभाषिक शब्दों की पूरी जानकारी होनी चाहिए और उनका सही प्रयोग करना चाहिए।
(iv) विशेष लेखन को पढ़ने वाले सीमित लोग ही होते हैं, परंतु वे उस विषय के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। अतः विशेष लेखन की भाषा रुचिकर पाठकों के अनुरूप ही होनी चाहिए।
(v) विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं है। फिर भी विशेष लेखन में तारतम्यता, समग्रता जैसे गुण अवश्यक होने चाहिएँ।
प्रश्न 4. समाचार पत्रों के लिए किन-किन विषयों पर विशेष लेखन लिखे जा सकते हैं?
उत्तर : समाचार पत्रों के लिए जिन विषयों, क्षेत्रों पर विशेष लेखन लिखे जा सकते हैं, वे निम्नलिखित हैं
(i) अर्थव्यापार
(ii) खेल
(iii) कृषि
(iv) विदेश
(v) रक्षा
(vi) पर्यावरण
(vii) शिक्षा
(viii) स्वास्थ्य
(ix) फिल्म मनोरंजन
(x) अपराध
(xi) सामाजिक मुद्दे
(xii) कानून
(xiii) फैशन
(xiv) जीवन-शैली
(xv) अन्य विषय
प्रश्न 5. समाचार पत्रों में कारोबार और व्यापार का क्या महत्त्व है?
उत्तर : समाचार पत्रों में कारोबार और व्यापार जगत से संबंध रखने वाले समाचारों के लिए अलग से एक पृष्ठ होता है। हमारे समाज का ताना-बाना कुछ इस प्रकार का है कि प्रत्येक वर्ग का संबंध व्यापार जगत से रहता है, चाहे वह संबंध थोड़ा हो या अधिक। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कुछ-न-कुछ बचत अवश्य करना चाहता है। हमारी बचत का सीधा संबंध व्यापार जगत से होता है। सोने-चाँदी के भाव गिरने व उठने का भी हमारी बचत पर प्रभाव पड़ता है। यदि सरकार किसानों को दिए जाने वाले खाद पर सब्सिडी घटाती है या बढ़ाती है तो इसका सीधा संबंध किसानों के जीवन पर पड़ता है। यदि सरकार खेल से जुड़ी सामग्री को सस्ता करती है तो इसका प्रभाव प्रत्येक घर पर पड़ता है क्योंकि खेलने वाले बच्चे सभी घरों में होते हैं। इन समाचारों में पाठकों की विशेष रुचि होती है। इसी कारण समाचार पत्रों के संवाददाता कारोबार और व्यापार से जुड़ी खबरों को भी विशेष महत्त्व देते हैं।रुपए की कीमत यदि डॉलर के मुकाबले कमज़ोर होती है तो इसका संबंध उन परिवारों पर सीधा पड़ता है जिनके घर से कोई व्यक्ति रोजगार के लिए विदेश गया है।आर्थिक क्षेत्र से संबंध रखने वाले पत्रकार को चाहिए कि वह व्यापार जगत से संबंधित तकनीकी शब्दावली को आम आदमी की समझ में आने वाली शब्दावली बनाए। कारोबार तथा आर्थिक बाज़ार से जुड़ी हुई खबरें उलटा पिरामिड शैली में ही लिखी जाती हैं।
प्रश्न 6. समाचार पत्रों में खेलों का क्या महत्त्व है? स्पष्ट करें।
उत्तर : खेलों से संबंधित समाचारों में अधिकतर लोगों की रुचि होती है। खेल हमारे जीवन में नए उत्साह का संचार करते हैं। प्रत्येक बच्चा खेलना पसंद करता है। आधुनिक समय में भाग-दौड़ भरी जिंदगी के कारण मनुष्य के अंदर का खिलाड़ी दब जाता है। जो लोग खेलों में रुचि रखते हैं, वे खेलों से संबंधित समाचार को बड़े ध्यान से पढ़ते हैं। इसलिए समाचार पत्रों में खेलों के लिए अलग पृष्ठ निर्धारित होता है। समाचार पत्रों की भाँति रेडियो तथा टी.वी. पर भी खेल समाचार प्रसारित किए जाते हैं। खेल पत्रकार के लिए आवश्यक है कि उसे खेल संबंधी नियमों और बारीकियों का ज्ञान हो। खेल-जगत के लिए समाचार लेखन कोई आसान कार्य नहीं है। खेलों के अंतर्गत भी आगे रुचि के आधार पर कार्य सौंपे जाते हैं। यदि किसी पत्रकार की रुचि क्रिकेट में है और उसे इस खेल का ज्ञान भी है तो वह इसी खेल (क्रिकेट) के बारे में ही लिखेगा। जो पत्रकार फुटबॉल का ज्ञान रखता है उसे फुटबॉल के खेल और खिलाड़ियों पर लिखने के लिए कहा जाएगा। किसी भी खेल पर लिखने vec H पहले पत्रकार 2/46 पास उस खेल से संबंधित सभी प्रकार के महत्त्वपूर्ण आँकड़े, तथ्य उपलब्ध हों। खेलों की रिपोर्टिंग तथा लेखन की भाषा शैली भी अलग प्रकार की होती है। खेल से संबंधित भाषा पाठकों में उत्साहवर्ध करने वाली होनी चाहिए। खेल संबंधी समाचार भी उलटा पिरामिड शैली में होते हैं।
प्रश्न 7. किसी भी विषय में विशेषज्ञता कैसे हासिल प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर : पत्रकारिता में विशेष लेखन के लिए विषय का विशेषज्ञ होना आवश्यक है_{1} किसी भी विषय में विशेषज्ञा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जाने चाहिए :
(i) माध्यमिक, उच्चतर तथा स्नातक स्तर तक उस विषय की विधिवत पढ़ाई करनी चाहिए।
(ii) इंटरनेट, समाचार पत्र, पुस्तकों आदि की सहायता से उस विषय में होने वाले परिवर्तनों, खोजों, निर्णयों आदि की आधुनिकतम जानकारी प्राप्त करते रहना चाहिए।
(iii) जहाँ तक संभव हो, उस विषय से संबंधित पुस्तकों का गहन अध्ययन करना चाहिए।
(iv) उस विषय से संबंधित सरकारी और गैर सरकारी संगठनों, संस्थानों आदि का पूरा विवरण (पता, टेलीफोन, ई-मेल,विशेषज्ञों के नाम) अपने पास रखने चाहिए।
(v) उस विषय के विशेषज्ञों के निकट रहकर उनसे कुछ नया सीखने का प्रयास करना चाहिए। (vi) यह याद रखना चाहिए कि विशेषज्ञता एक दिन में प्राप्त नहीं की जा सकती, इसके लिए सतत् प्रयास करने पड़ते हैं।
प्रश्न 8. किसी भी लेखन के लिए सूचनाओं के स्त्रोतों का नामोल्लेख कीजिए ।
उत्तर : सूचना के निम्नलिखित स्रोत हो सकते हैं ।
(i) मंत्रालय के सूत्र
(ii) साक्षात्कार
(v) जाँच समितियों की रिपोर्ट
(iii) संबंधित विभागों और संगठनों से जुड़े लोग
(iv) स्थायी और सतत् अध्ययन की प्रक्रिया।
(v) प्रेस कांफ्रेंस और विज्ञप्तियाँ
(vi) सर्वे या पर्यवेक्षण
(vii) विषय से संबंधित सक्रिय संस्थाएँ
(viii) इंटरनेट व अन्य संचार माध्यम
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