बादल राग 12th आरोह।Badal Ragg Nirala CBSE/HBSE

 आरोह पाठ-7 सूर्यकांत त्रिपाठी निराला


1. अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर:- 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' क्रांति या विनाश की आशंका को कहा गया है। क्रांतिक हुंकार से पूँजीपति घबरा उठते हैं, वे अपनी सुख-सुविधा के खोने मात्र से भयभीत हो जाते हैं। उनका सुख अस्थिर है, उन्हें क्रांति में दुःख की छाया दिखाई देती हैं । क्रांति उन्हीं से कुछ चाहती है जिनके पास आवश्यकता से अधिक होता है, जो समाज की भलाई के लिए आवश्यक है और उसे खोने मात्र की आशंका उन्हें दुखी कर देती है।


2. अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है? 

उत्तर:- 'अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में क्रांति विरोधी गर्वीले वीरों की ओर संकेत करती है जो क्रांति के वज्राघात से घायल होकर क्षत-विक्षत हो जाते हैं। बादलों के वज्रपात से उन्नति के शिखर पर पहुँचे सैकड़ो वीर पराजित होकर मिट्टी में मिल जाते हैं। बादलों की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े-बड़े पर्वत, वृक्ष क्षत-विक्षत हो जाते हैं। उनका अस्तित्व नष्ट हो जाता है, उसी प्रकार क्रांति की हुंकार से पूँजीपति का धन, संपत्ति तथा वैभव आदि का विनाश हो जाता है अर्थात उनके शोषण का अन्त हो जाता है।


3. विप्लव - रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति में विप्लव-व से क्या तात्पर्य है? छोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है? 

उत्तर:- 'विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते' पंक्ति में विप्लव-रव से तात्पर्य है - क्रांति । क्रांति जब आती है तब गरीब सामान्य वर्ग आशा से भर जाता है एवं धनी पूँजीपति वर्ग अपने विनाश की आशंका से भयभीत हो उठता है। छोटे लोगों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं उन्हें सिर्फ़ इससे लाभ होगा। इसीलिए कहा गया है कि 'छोटे ही हैं शोभा पाते' जैसे भयंकर आँधी, तूफान के बीच छोटे-छोटे पौधे अपनी जड़ नहीं छोड़ते।


4. बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है? 

उत्तर:- बादलों के आगमन से प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन होते है।

• समीर बहने लगती है।

• बादल गरजने लगते है।

• मूसलाधार वर्षा होती है।

• बिजली चमकने लगती है।

• छोटे-छोटे पौधे खिल उठते हैं। मौसम सुहावना हो जाता है। 

• गर्मी के कारण दुखी प्राणी बादलों को देखकर प्रसन्न हो जाता है।

5.1 व्याख्या कीजिए


तिरती है समीर-सागर पर


अस्थिर सुख पर दुख की छाया-


जग के दग्ध हृदय पर


निर्दय विप्लव की प्लावित माया-


उत्तर:- कवि बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे क्रांति दूत रूपी बादल। तुम आकाश में ऐसे मंडराते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर नौका तैर रही हो। छाया 'उसी प्रकार पूंजीपतियों के वैभव पर क्रांति की छाया मंडरा रही है इसीलिए कहा गया है 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' अर्थात उनके सुख अस्थिर हैं जो कभी नष्ट हो सकते हैं।


कवि ने बादलों को विप्लवकारी योद्धा, उसके विशाल रूप को रण-नौका तथा गर्जन-तर्जन को रणभेरी के रूप में दिखाया है। कवि कहते है कि हे बादल! तेरी भारी-भरकम गर्जना से धरती के गर्भ में सोए हुए अंकुर सजग हो जाते हैं अर्थात् कमजोर व् निष्क्रिय व्यक्ति भी शोषण के विरूद्ध संघर्ष के लिए तैयार हो जाते हैं।


5.2 व्याख्या कीजिए

अट्टालिका नहीं है रे

आतंक भवन

सदा पंक पर ही होता

जल - विप्लव - प्लावन


उत्तर:- कवि कहते है कि पूँजीपतियों के ऊँचे-ऊँचे भवन मात्र भवन नहीं हैं अपितु ये गरीबों को आतंकित करने वाले भवन हैं। इसमें रहनेवाले लोग महान नहीं हैं। ये तो भयग्रस्त हैं। जल की विनाशलीला तो सदा पंक को ही डुबोती है, कीचड़ को कोई फर्क नहीं पड़ता। उसी प्रकार क्रांति की ज्वाला में धनी लोग ही जलते है, गरीबों को कुछ खोने का डर ही नहीं क्योंकि क्रांति का प्रतिनिधित्व हमेशा निम्न वर्ग ही करता है।


6. पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?

 उत्तर:- कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।

मुझे बादलों का गर्जन कर क्रांति लानेवाला रूप पसंद है। क्योंकि जिस प्रकार बादलों की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े-बड़े पर्वत, वृक्ष घबरा जाते हैं। उनको उखड़कर गिर जाने का भय होता है। उसी प्रकार क्रांति की हुंकार से पूँजीपति घबरा उठते हैं, वे दिल थाम कर रह जाते हैं। उन्हें अपनी संपत्ति एवं सत्ता के छिन जाने का भय होता है।


..... ऐ विप्लव के बादल!

फिर-फिर

बार-बार गर्जन

वर्षण है मूसलधार,

हृदय थाम लेता संसार,

सुन-सुन घोर वज्र हुंकार |


7. कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है जैसे - अस्थिर सुख ।

सुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है ? 

उत्तर:- कवि ने कविता में निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है-

निर्दय विप्लव विप्लव (विनाश) के साथ निर्दय विशेषण लगने से विनाश और अधिक क्रूर हो गया है।

दग्ध हृदय-

  दुःख की अधिकता व संतपत्ता हेतु दग्ध विशेषण।

सुप्त अंकुर-

सुप्त विशेषण अंकुरों की मिट्टी में दबी हुई स्थिति का घोतक है।

गगन-स्पर्शी-

बादलों की अत्याधिक ऊँचाई बताने हेतु गगन।

जीर्ण बाहु-

भुजाओं की दुर्बलता ।

रुद्ध कोष-

भरे हुए खजानों हेतु ।

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