Katha Pathkatha कथा -पठकथा 11th CBSE/HBSE

 प्रश्न 1 कथा तथा पटकथा में क्या अंतर है? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।

उत्तर : किसी नाटक, फिल्म या टेलीविजन सीरियल बनाने के लिए सबसे पहले एक कहानी की आवश्यकता होती हैं। यह कहानी समाज की किसी भी ऐतिहासिक या समकालीन घटना, साहित्यिक रचना, समाचार आदि पर आधारित हो सकती है या फिर पूर्णतः काल्पनिक भी हो सकती है। उस घटना समाचार आदि को एक कहानी के रूप में लिखा जाता है, जिसे कथा कहा जाता है।

नाटक, फिल्म या टेलीविजन सीरियल में इस कथा को प्रस्तुत करने के लिए अलग-अलग दृश्यों, घटना स्थलों, परिवेश आदि की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार इस कथा को परदे पर दिखाने के लिए इसकी पटकथा लिखी जाती है। 'पटकथा' शब्द 'पट' (परदा) तथा 'कथा' (कहानी) शब्दों से मिलकर बना है। अतः परदे पर दिखाई जाने वाली कथा को 'पटकथा' कहा जाता है। फिल्मों, धारावाहिकों को बनाते समय इसी पटकथा की सहायता से निर्देशक, अभिनेताओं, तकनीशियनों आदि को महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। पटकथा-लेखक पटकथा लिखते समय इन जानकारियों को निर्देश के रूप tilde 4 प्रस्तुत करता रहता है।

प्रश्न 2. पटकथा के कौन-से तत्त्व है?

उत्तर: वस्तुतः फिल्म, धारावाहिक व नाटक इन तीनों के लिए पटकथा लिखी जाती है। फिल्म व धारावाहिक की पटकथा की संरचना नाटक की पटकथा की सरचना से बहुत अधिक मिलती है। परन्तु नाटक में अभिनेता को दर्शकों के सामने जीवत अभिनय करना पड़ता है, वहीं फिल्मों व धारावाहिकों में पहले अभिनेता के अभिनय की रिकॉर्डिंग की जाती है और त्रुटि होने पर दोबारा उसका फिल्मांकन किया जा सकता है। अतः नाटक की तरह ही प्रत्येक फिल्म व धारावाहिक की पटकथा के तत्त्वों में पात्र या चरित्र, नायक प्रतिनायक, द्वंद्व व टकराहट, अलग-अलग घटना स्थल, दृश्य, कहानी का क्रमिक विकास तथा अंत में समाधान होते हैं। ये सभी पटकथा के अनिवार्य तत्त्व होते हैं। परन्तु इन सभी तत्त्वों में से 'दृश्य' को ही पटकथा की मूल इकाई माना जाता है। एक समय में, एक ही स्थान पर चल रहे कार्य के आधार पर एक दृश्य का निर्माण होता है। इन तीनों (समय, स्थान, कार्य) में से किसी एक के बदलने से दृश्य भी बदल जाता है।

प्रश्न 3. उन कारणों का उल्लेख करें जिनके कारण नाटक की पटकथा की संरचना किसी फिल्म, धारावाहिक की पटकथा की संरचना से भिन्न हो जाती है?

उत्तर : नाटक की पटकथा की संरचना तथा फिल्म, धारावाहिक की संरचना में भिन्नता के निम्नलिखित कारण हैं : (i) नाटक एक सजीव माध्यम है। नाटक के अभिनेता-अभिनेत्रियाँ दर्शकों के समक्ष जीवंत अभिनय करते हैं। फिल्म व धारावाहिक में रिकॉर्डिंड ध्वनियों व छवियों का प्रयोग होता है। अतः नाटक में अभिनय के दौरान त्रुटि होने पर उसे सुधारा नहीं जा सकता है, जबकि फिल्म, धारावाहिक में उसी दृश्य को फिर से फिल्माया जा सकता है।

(ii) नाटक में अभिनय एक निश्चित रंगमंच पर होता है और overline 46 भी लगातार चलता रहता है क्योंकि यह जीवंत अभिनय होता है। इसी कारण इसमें दृश्यों की संख्या, उनका बार-बार बदलना, पात्रों की संख्या आदि को सीमित रखना पड़ता है। फिल्म, धारावाहिक में यह सीमा लागू नहीं होती है।

(iii) नाटक की कथा का विकास एकरेखीय अर्थात् 'लीनियर' होता है जो घटनाक्रम में आरंभ, मध्य व अंत की ओर चलता है। इसमें फ़्लैश बैक (अतीत की घटनाओं को वर्तमान में दिखाना) तथा फ़्लैश फॉरवर्ड (भविष्य की घटनाओं को कल्पना आदि के द्वारा पहले ही वर्तमान में दिखा देना) तकनीकों का प्रयोग नहीं हो सकता है। फिल्म व धारावाहिक में इन दोनों तकनीकों का आसानी से प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 4. फ़्लैश बैक को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : फ़्लैश बैक तकनीक : 'फ्लैश' शब्द का अर्थ होता है - दर्शाना। 'बैक' शब्द का अर्थ होता है - पीछे, अतीत। अतः फ़्लैश बैक वह तकनीक है जिसके द्वारा हम अतीत में घटित घटनाओं को वर्तमान में दिखाते हैं। उदाहरण के लिए, 'कृष' फिल्म में जब नायक बड़ा होता है और वह दूसरे ग्रह के प्राणी जादू को अपने घर ले आता है, तब उसकी माँ उस प्राणी को देखकर डर जाती है और उसकी आँखों के सामने वह दृश्य आ जाता है जब उसी प्राणी जैसे जीवों के कारण उसके पति की कार दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है और वह मर जाता है। यहाँ फ्लैश बैक तकनीक द्वारा लगभग 17-18 वर्ष पहले घटित घटना को वर्तमान में दर्शाया जाता है।

प्रश्न 5. फ़्लैश फारवर्ड तकनीक से क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित स्पष्ट करें। उत्तर : फ़्लैश फॉरवर्ड तकनीक : 'फ्लैश' शब्द का अर्थ होता है - दर्शाना। 'फॉरवर्ड' शब्द का अर्थ होता है - आगे।यह तकनीक फ़्लैश बैक तकनीक के ठीक विपरीत है। इसमें कल्पना, उपकरण आदि की सहायता से भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं को पहले ही वर्तमान में दर्शा दिया जाता है। उदाहरण के लिए, 'कृष-2' फिल्म का खलनायक ऐसा वैज्ञानिक उपकरण बना लेता है जिससे वह किसी भी व्यक्ति के भविष्य के बारे में जान सकता है। वह उस उपकरण की सहायता से अपना भविष्य देखता है और पाता है कि मुखौटे वाला एक युवक हत्या कर रहा है। यह दृश्य देखकर वह मुखौटे वाले व्यक्ति को मारने के लिए अपने आदमियों को भेज देता है।

प्रश्न 2. पटकथा लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है और क्यों?. उत्तर : पटकथा लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है :

(i) सबसे पहले हमें यह ध्यान रखना होगा कि पटकथा किसी फिल्म, धारावाहिक के लिए लिखी जा रही है या किसी नाटक के लिए। इसका कारण यह है कि नाटक की पटकथा का विकास 'एक रेखीय' (लीनियर) होता है। उसमें हम फ़्लैश बैक या फ़्लैश कॉरवर्ड तकनीकों का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। जबकि फिल्म, धारावाहिक की पटकथा में इन दोनों तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ-साथ फिल्म व धारावाहिक की पटकथा में एक ही समय पर होने वाली दो भिन्न घटनाओं को दिखाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि किसी फिल्म में एक व्यक्ति के पीछे गुंडे दौड़ रहे हैं और उसे मारना चाहते है। वह व्यक्ति अपनी जान बचाने के लिए दौड़ता है। उसी समय घर पर उसकी पत्नी अपनी माँग में सिंदूर भर रही होती है। उधर गुंडे उसे पकड़ लेते हैं और उस पर गोली चलाते हैं। इधर घर पर पत्नी के हाथ से सिंदूर की डिब्बी नीचे गिर जाती है और चारों ओर फर्श पर सिंदूर फैल जाता है। नाटक की पटकथा में इस प्रकार के दृश्यों की सुविधा नहीं होती है।

(ii) पटकथा की मूल इकाई 'दृश्य' होती है। एक स्थान पर, एक ही समय में लगातार चल रहे कार्य-व्यापार के आधार पर एक दृश्य बनता है। यदि इन तीनों (समय, स्थान, कार्य) में से एक में भी बदलाव आता है, तब दृश्य भी बदल जाता है। पटकथा में प्रत्येक दृश्य के लिए एक संख्या दी जाएगी। यह दृश्य संख्या पटकथा में सबसे ऊपर लिखी जाती है।

(iii) पटकथा लिखते समय प्रत्येक दृश्य की लोकेशन (घटनास्थल) का उल्लेख करना जरूरी होता है जैसे रेलवे स्टेशन का दृश्य, रेलगाड़ी के डिब्बे का भीतरी दृश्य, मंदिर का दृश्य, बाजार का दृश्य आदि। इसके साथ-साथ पटकथा में यह भी अवश्य दर्शाना होता है कि वह घटना दिन में घटित हो रही है या रात में या भोरकाल में या संध्या के समय। इसी तरह घटना के बारे में यह जानकारी देना भी जरूरी है कि घटना खुले स्थान पर घटित हो रही है या बंद स्थान पर। इसके लिए प्रायः अंग्रेजी भाषा के शब्दों ‘INT' (Interior) व ‘EXT’ (Exterior) शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं।

(iv) पटकथा के प्रत्येक दृश्य के अंत में 'कट टू', 'डिजॉल्व टू', 'फेड आउट' जैसे शब्दों द्वारा निर्देशक व एडीटर को दृश्य के समापन के बारे में जानकारी दी जाती है।

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