संदेश

अगस्त, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अक्क महादेवी (वचन)Akk Mhadevi e bhukh mat machal

 (i) कविता के साथ प्रश्न 1. 'लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं। इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।  उत्तर : आँख, जीभ, मन आदि वे अंग हैं जो हमें बाहरी पदार्थ के गुणों का अनुभव कराते हैं और यह अनुभव कराने की शक्ति अत्यंत प्रबल होती है। ये इंद्रियाँ हमें बाह्य जगत् से जोड़ती हैं और इस जगत् के पदार्थों का उपभोग करने के लिए प्रेरित करती हैं। दूसरी ओर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मन पर संयम होना आवश्यक है क्योंकि लक्ष्य पाने के लिए हमें सच्ची लगन के साथ मेहनत करनी होती है। अतः जो व्यक्ति अपनी इन इंद्रियों के वश में रहता है, वह संयम के साथ मेहनत नहीं कर सकता। उसके मन में काम, क्रोध, मोह, अहंकार, लोभ, विषय-वासना आदि विकार जाग्रत हो जाते हैं। वह अपने लक्ष्य को भूलकर इन सांसारिक सुखों के पीछे भागने लगता है। ये इंद्रियाँ ही मनुष्य को मोह-माया में फँसाती हैं और उसे गहरे पतन की ओर धकेलती जाती हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई विद्यार्थी अपनी इंद्रियों के वशीभूत होकर फिल्में देखता है, इधर-उधर भटकता है, तो निश्चय ही वह शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य से भटक जाएगा। अतः संक्षेप में कहा जा सकता है क...

गजल। दुष्यंत कुमार 11th आरोह।Gajal Dushyant Kumar

अभ्यास के प्रश्नोत्तर।  प्रश्न 1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है ? समझाकर लिखें। उत्तर- निश्चित रूप से गुलमोहर ग्रीष्म ऋतु में लहलहाने वाला फूलदार वृक्ष है पर कवि ने इसके द्वारा सांकेतिक अर्थ को प्रकट किया है। यह घना छायादार पेड़ अपने घर, नगर और देश में प्राप्त होने वाले कष्टों से राहत प्राप्त होने का प्रतीक है। यह हमारे जीवन का आधार है। यह परायों के सुखों और जीवन का भी प्रतीक है। हम अपना जीवन जीते हुए दूसरों के जीवन को सुखमय बनाए ऐसा कवि चाहता है। प्रश्न 2. पहले शेर में 'चिराग' शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इस का क्या महत्त्व है ? उत्तर – कवि ने पहले शेर में 'चिरागों' शब्द का बहुवचन रूप में प्रयोग किया है जो हर घर को सरकार की ओर से दिए जाने वाली सुख-सुविधाओं का द्योतक है। दूसरी बार कवि ने 'चिराग' शब्द का एकवचन में प्रयोग किया है जो जनता को सुख आराम प्रदान करने वाली केंद्रीय सत्ता का बोध कराता है। सरकार का कार्य है...

बादल राग 12th आरोह।Badal Ragg Nirala CBSE/HBSE

 आरोह पाठ-7 सूर्यकांत त्रिपाठी निराला 1. अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों? उत्तर:- 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' क्रांति या विनाश की आशंका को कहा गया है। क्रांतिक हुंकार से पूँजीपति घबरा उठते हैं, वे अपनी सुख-सुविधा के खोने मात्र से भयभीत हो जाते हैं। उनका सुख अस्थिर है, उन्हें क्रांति में दुःख की छाया दिखाई देती हैं । क्रांति उन्हीं से कुछ चाहती है जिनके पास आवश्यकता से अधिक होता है, जो समाज की भलाई के लिए आवश्यक है और उसे खोने मात्र की आशंका उन्हें दुखी कर देती है। 2. अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?  उत्तर:- 'अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में क्रांति विरोधी गर्वीले वीरों की ओर संकेत करती है जो क्रांति के वज्राघात से घायल होकर क्षत-विक्षत हो जाते हैं। बादलों के वज्रपात से उन्नति के शिखर पर पहुँचे सैकड़ो वीर पराजित होकर मिट्टी में मिल जाते हैं। बादलों की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े-बड़े पर्वत, वृक्ष क्षत-विक्षत हो जाते हैं। उनका अस्तित्व नष्ट ...

ऊषा 12th आरोह।

खंड 'घ' - अभ्यास के प्रश्नोत्तर। प्रश्न 1. कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि 'उषा' कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है?  उत्तर : इस कविता में कवि ने जिन उपमानों (प्रसिद्ध वस्तुओं) का प्रयोग किया है, वे सभी ग्रामीण समाज से जुड़े हैं। गाँवों होते ही चौके को राख से लीपा जाता है। खाना तैयार करते समय सिल का प्रयोग किया जाता है। लाल खड़िया (चाक) से घर में के सुबह मुख्य द्वार पर चित्र, शुभ प्रतीक आदि बनाए जाते हैं। ये सभी कार्य इसी क्रम में पूरे किए जाते हैं और कवि ने भी इसी क्रम में इन उपमानों का प्रयोग किया है। अतः इन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि 'उषा' कविता गाँव की सुबह का गतिशील चित्र है। प्रश्न 2. भोर का नभ  "राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है)" नई कविता में कोष्ठक, विराम चिह्नों और पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है? समझाइए । उत्तर : नई कविता के प्रयोगवादी कवियों ने अपनी कविताओं में नए-नए प्रयोग किए हैं, जैसे- कोष्ठक, विराम-चिह्न...

चंपा काले काले अच्छर नहीं चिह्नती।

प्रश्न 1. चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे ?   उत्तर - जब कवि चंपा को पढ़ने-लिखने की सीख देते हुए कहता है कि उसका पति कलकत्ता में होगा तो वह शादी के बाद कैसे उसे संदेश भेजेगी और कैसे उसके पत्रों को पढ़ेगी । तब चंपा का सारा क्रोध मानो फूट पड़ता है। वह कह देती है कि कलकत्ता पर बजर गिरे अर्थात् कलकत्ता नष्ट हो जाए। न कलकत्ता न रहेगा और न उसका पति उससे दूर जाएगा। चंपा के ऐसे विचार वास्तव में उस पलायनवादी प्रवृत्ति के विरोध में खड़े हो जाते हैं जहाँ पढ़-लिख कर लोग रोज़गार पाने के लिए महानगरों की ओर रुख कर लेते हैं। चंपा का मानना है कि न महानगर रहेंगे और न ही लोगों के घर टूटेंगे और न ही घर के लोगों को बिछुड़ने की पीड़ा सहनी पड़ेगी। प्रश्न 2. चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गाँधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी ?  उत्तर- चपा के मन में यह धारणा है कि पढ़-लिख कर आदमी अपने घर को छोड़ कर चला जाता है। इसी कारण चंपा पढ़ने-लिखने को अच्छा काम नहीं मानती। जब कवि उसे बताता है कि गांधी जी की इच्छा है कि हर व्यक्ति पढ़ना-लिखना सीखे तब चंपा को विश्वास नहीं हो पाता। उ...

अतीत में दबे पांव ( वितान)12th CBSE/HBSE

 अभ्यास के प्रश्नोत्तर | अतीत में दबे पांव। प्रश्न 1. सिंधु सभ्यता साधन संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था। कैसे?                            अथवा  साधन-संपन्न होते हुए भी सिंधु में भव्यता का आडंबर नहीं था। कैसे? उत्तर: मुअनजोदड़ो सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर था। यहाँ की खुदाई करने पर पुरातत्व के वैज्ञानिकों को सोने के आभूषण, सुइयाँ, ताँबे के बर्तन आदि मिले हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ बड़े-बड़े भवनों, इमारतों के खंडहर भी मिले हैं। यहाँ तरह-तरह की मुहरें भी मिली हैं। यहाँ की वास्तुकला या नगर-नियोजन अद्भुत है जिसमें चौड़ी सड़कें, नालियाँ, कुएँ आदि की व्यवस्था थी। यहाँ बैलगाड़ियों के प्रयोग के साक्ष्य मिले हैं। इन सभी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता साधनों से संपन्न थी। परंतु इस सभ्यता में भव्यता का आडंबर नहीं था। किसी भी देश में चाहे राजतंत्र हो या धर्मतंत्र की शासन व्यवस्था हो, वहाँ बड़े-बड़े महल, राजाओं या महंतों की समाधियाँ, विशाल मंदिर बनाए जाते थे। परंतु सिंधु सभ्यता में इन सभी का अभाव ह...

विशेष लेखन:- स्वरूप और प्रकार।12cbse/hbse

 प्रश्न 1. विशेष लेखन क्या होता है? समाचार पत्र में इसका क्या महत्त्व है? उत्तर : जब कोई पत्रकार या पेशेवर व्यक्ति किसी विशेष विषय जैसे-खेल, व्यापार, शिक्षा, अपराध, रक्षा आदि का ज्ञाता हो और वह उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों, समस्याओं आदि का बारीकी से विश्लेषण कर उसे पाठकों के लिए प्रस्तुत करें, तब उसके इस लेखन को विशेष लेखन कहा जाता है। विशेष लेखन से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य : - (i) विशेष लेखन के लिए पत्रकार या संवाददाता को किसी एक विषय में गहरी रुचि तथा उसका व्यापक ज्ञान होना जरूरी है। (ii) विशेष लेखन का कार्य वेतनभोगी या अंशकालिक या फोलांसर पत्रकार भी कर सकता है। (iii) यह भी आवश्यक नहीं है कि विशेष लेखन केवल पत्रकार द्वारा ही लिखे जा सकते हैं। रक्षा, विज्ञान, कृषि, शिक्षा आदि से जुड़े वैज्ञानिक, विशेषज्ञ भी समाचार पत्र के लिए विशेष लेखन लिख सकते हैं। विशेष लेखन का महत्त्व : (i) समाचार पत्र में विशेषज्ञ द्वारा लिखा गया विशेष लेखन अधिक विश्वसनीय माना जाता है। (ii) विशेष लेखन के माध्यम से साधारण जनता को किसी भी विषय के बारे में पहत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दी जा सकती...

विदाई संभाषण 11th #vidhayi sambhashan

  अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर  प्रश्न 1. शिवशंभु की दो गायों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ?  उत्तर - शिवशंभु की दो गायों के माध्यम से लेखक भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन को यह बताना चाहता है कि भारत देश में शत्रु से बिछुड़ने पर भी दुःख का अनुभव होता है। शिवशंभु की एक गाय दूसरी गाय को अपने सॉंगों से टक्कर मारकर दुःख पहुँचाती थी फिर भी कमज़ोर गाय उसके बिछुड़ने पर दुःख को अनुभव करती है। लेखक यह बताना चाहता है कि भारत देश में भावनाएं प्रधान हैं। यहाँ के पशु-पक्षी भी बिछुड़ते समय आपसी वैर भाव को भुलाकर दुःख का अनुभव करते हैं। इसी प्रकार लॉर्ड कर्जन ने भारत में रहते हुए भारतवासियों को बहुत दुःख पहुँचाया। उसने भारतवासियों को पतन की ओर धकेला फिर भी भारतवासियों को उसकी विदाई पर गहरा दुःख अनुभव हो रहा था। प्रश्न 2. आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ा कर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने जरा भी ध्यान नहीं दिया- यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है ? उत्तर - यहाँ लेखक ने सन् 1905 में लॉर्ड कर्जन द्वारा किए बंगाल के विभाजन की ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया है। लॉर्ड क...

वाक्य व इसके भेद।

  वाक्य (Syntax) की परिभाषा वह शब्द समूह जिससे पूरी बात स्पष्ट हो जाये, 'वाक्य' कहलाता हैै। सरल शब्दों में- सार्थक शब्दों का व्यवस्थित समूह जिससे अपेक्षित अर्थ प्रकट हो,  वाक्य कहलाता है। जैसे-आकाश खेल रहा है, निर्मला नाच रही हैैै। वाक्य के भाग वाक्य के दो अंग होते है- (1) उद्देश्य (Subject)  (2) विधेय (Predicate) (1)उद्देश्य (Subject):- वाक्य में जिसके विषय में कुछ कहा जाये, उसे उद्देश्य कहते हैं।  सरल शब्दों में- जिसके बारे में कुछ बताया जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं। जैसे- पूनम किताब पढ़ती है। सचिन दौड़ता है। (2)विधेय (Predicate):-  उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते है। जैसे- नीतू किताब पढ़ती है। इस वाक्य में 'किताब पढ़ती' है विधेय है क्योंकि नीतू (उद्देश्य )के विषय में कहा गया है। वाक्य के अनिवार्य तत्व वाक्य में निम्नलिखित छ तत्व अनिवार्य है- (1) सार्थकता (2) योग्यता  (3) आकांक्षा (4) निकटता  (5) पदक्रम  (6) अन्वय (1) सार्थकता-  वाक्य का कुछ न कुछ अर्थ अवश्य होता है। अतः इसमें सार्थक शब्दों का ही प्रयोग होता है। (2) यो...

लता मंगेशकर 11वीं हिन्दी।

 प्रश्न - 1 लेखक ने पाठ में 'गानपन' का उल्लेख किया है। पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएं कि आपके विचार में इसे प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है? उत्तर - लेखक ने पाठ में जिस 'गानपन' का उल्लेख किया है, उसका अर्थ है-गाने का ऐसा अंदाज, जो एक आम आदमी को भी भाव विभोर कर दे, क्योंकि आम आदमी को यह पता नही होता है कि गाना किस राग में गाया गया है, बल्कि उसे तो गाने में ऐसी मिठास चाहिए, जो उसे मदहोश कर दे। जिस प्रकार मनुष्यता हो तो वह मनुष्य है, वैसे ही गानपन' हो तो वह संगीत है और लता की लोकप्रियता का मुख्य मर्म यह गानपन' ही है। हमारे विचार से इस 'गानपन' की विशेषता को प्राप्त करने के लिए नादमय उच्चार द्वारा गाने का अभ्यास करने की आवश्यकता है। इसमें दो शब्दों का अंतर बहुत ही सुंदर रीति से एक-दूसरे में विलीन हो जाता है। गीतों को मार्मिकता, मधुरता तथा स्वाभाविकता के साथ ही गाना चाहिए। श्रोताओ को आनंदित करने के लिए स्वर, लय व अर्थ का संगम होना जरूरी है। रागों की शुद्धता पर जोर न देकर गाने को मिठास व स्वाभाविकता के साथ गाया जाना चाहिए। प्रश्...

अप्पू के साथ ढाई साल।11thCBSE

1 'पथेर पांचाली' फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला? उदाहरण सहित लिखें।   उत्तर 'पथेर पांचाली' फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक इसलिए चला, क्योंकि लेखक को एक विज्ञापन कंपनी में काम करने के कारण समय कम मिल पाता था तथा उसके पास पैसे का अभाव भी बना रहता था। वह फ़िल्म की शूटिंग के लिए पैसे इकट्ठे करता और जब पैसे खत्म हो जाते तो पुनः पैसे जमा होने तक फ़िल्म की शूटिंग स्थगित कर देता। इसी प्रकार काशफूलों का समाप्त हो जाना, भूलो कुत्ते का मर जाना, मिठाई वाले की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का मर जाना तथा वर्षा ऋतु की समाप्ति आदि समस्याएँ आने के कारण फ़िल्म का काम ढाई साल तक चला।  2 'अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उनमें से कंटिन्यूइटी नदारद हो जाती है' इस कथन के पीछे क्या भाव है?   उत्तर - इस कथन के पीछे लेखक का भाव यह है कि फ़िल्म के दृश्य की निरंतरता और स्वाभाविकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि वह टुकड़ों में न बँटा हो ,तभी वह प्रभावशाली होगा। जब एक दृश्य में अप्पू और दुर्गा को पहली बार रेलगाड़ी द...