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RAJASTHAN KI RAJAT BUNDE राजस्थान की रजत बूंदे Class 11

 (i) अभ्यास क प्रश्न प्रश्न 1. राजस्थान में कुई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है? उत्तर : राजस्थान में बहुत ही छोटे-से कुएँ को कुई कहा जाता है। वस्तुतः राजस्थान के जिन क्षेत्रों में रेत की मोटी सतह के नीचे खड़िया पत्थर की पट्टी है, उन क्षेत्रों में छोटे-छोटे कुएँ खोदे जाते हैं। इन्हें ही कुंइयाँ कहते हैं। इस पट्टी की सतह तक छोटे व्यास की जो कुई खोदी जाती है, या तो उसकी दीवारों की ईंटों से चिनाई की जाती है या उस कुंई को रस्से से बाँधा जाता है या फिर लकड़ी के लट्ठों से उसकी चिनाई की जाती है।कुई का व्यास या घेरा कुओं के व्यास से बहुत कम होता है। इसका व्यास मात्र चार-पाँच हाथ होता है। कुएँ की गहराई भूजल तक होती है और यह लगभग डेढ़ सौ दो-सौ हाथ पर निकल आता है। कुंई की गहराई रेत की सतह के नीचे उपलब्ध खड़िया पत्थर की पट्टी पर निर्भर करती है। अतः उसकी गहराई दस-पन्द्रह हाथ से लेकर पचास-साठ हाथ तक हो सकती है। प्रश्न 2. दिनों दिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्य...

Katha Pathkatha कथा -पठकथा 11th CBSE/HBSE

 प्रश्न 1 कथा तथा पटकथा में क्या अंतर है? उदाहरण सहित स्पष्ट करें। उत्तर : किसी नाटक, फिल्म या टेलीविजन सीरियल बनाने के लिए सबसे पहले एक कहानी की आवश्यकता होती हैं। यह कहानी समाज की किसी भी ऐतिहासिक या समकालीन घटना, साहित्यिक रचना, समाचार आदि पर आधारित हो सकती है या फिर पूर्णतः काल्पनिक भी हो सकती है। उस घटना समाचार आदि को एक कहानी के रूप में लिखा जाता है, जिसे कथा कहा जाता है। नाटक, फिल्म या टेलीविजन सीरियल में इस कथा को प्रस्तुत करने के लिए अलग-अलग दृश्यों, घटना स्थलों, परिवेश आदि की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार इस कथा को परदे पर दिखाने के लिए इसकी पटकथा लिखी जाती है। 'पटकथा' शब्द 'पट' (परदा) तथा 'कथा' (कहानी) शब्दों से मिलकर बना है। अतः परदे पर दिखाई जाने वाली कथा को 'पटकथा' कहा जाता है। फिल्मों, धारावाहिकों को बनाते समय इसी पटकथा की सहायता से निर्देशक, अभिनेताओं, तकनीशियनों आदि को महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। पटकथा-लेखक पटकथा लिखते समय इन जानकारियों को निर्देश के रूप tilde 4 प्रस्तुत करता रहता है। प्रश्न 2. पटकथा के कौन-से तत्त्व है? उत्तर: वस्तुतः...

Diary lekhan ki kalan। डायरी लेखन की कला (11th CBSE)

 प्रश्न 1. डायरी किसे कहते हैं ? उत्तर- डायरी एक ऐसी नोट बुक होती है, जिसके पृष्ठों पर वर्ष के तीन सौ पैंसठ दिनों की तिथियों क्रम से लिखी होती हैं। प्रत्येक तिथि के बाद पृष्ठ को खाली छोड़ दिया जाता है। डायरी को दैनिकी, दैनंदिनी, रोजनामचा, रोजनिशि, वासरी, वासरिया भी कहते हैं। यह मोटे गल्ले की सुंदर जिल्द से सजी हुई होती है। कुछ डायरियाँ प्लास्टिक के रंग-बिरंगे कवरों से सजाई जाती हैं। डायरी विभिन्न आकारों में मिलती है। इनमें टेबल डायरी, पुस्तकाकार डायरी, पॉकेट डायरी प्रमुख हैं। नए वर्ष के आगमन के साथ ही विभिन्न आकार-प्रकार की डायरियाँ भी बाजार में मिलने लगती हैं। डायरी लिखने वाले हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि नए वर्ष के पहले दिन उसके पास नई डायरी हो।  प्रश्न 2. डायरी का क्या उपयोग है ? उत्तर- डायरी के प्रत्येक पृष्ठ पर एक तिथि होती है तथा शेष पृष्ठ खाली होता है। इस खाली पृष्ठ का उपयोग उस तिथि विशेष से संबंधित सूचनाओं अथवा अपनी निजी बातों को लिखने के लिए किया जाता है। किसी विशेष तिथि पर यदि हमें कोई विशेष कार्य करना है अथवा कहीं जाना है तो उससे संबंधित सूचना पहले से ही उस ति...

कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण। Kese kren kahani ka natya rupantaran

 खड प्रश्न 1, कहानी जीर नाटक में क्या-क्या समानताएँ होती है?  अथवा कहानी और नाटक की किन्हीं तीन समानताओं को लिखिए।  उत्तर - कहानी और नाटक में निम्नलिखित समानताएँ हैं:  (i) कहानी और नाटक दोनों ही साहित्यिक विधा के अन्तर्गत आते हैं। (ii) कहानी और नाटक दोनों में ही एक कथानक अवश्य होता है।दोनों में ही इस कथानक का प्रायः एक आरंभ, मध्य और अंत होता है।  (iii) कहानी और नाटक दोनों में पात्रों की योजना अवश्य होती है। पात्रों के द्वंद्व, घटनाओं, कार्यों आदि के बल पर कहानी और नाटक का कथानक आगे बढ़ता है। (iv) कहानी और नाटक दोनों में संवादों का प्रयोग होता है। कई बार लेखक कहानी में संवादों का प्रयोग नहीं करता है, परंतु नाटक में संवादों के माध्यम से ही कथानक आगे बढ़ता है।  (v) कहानी और नाटक दोनों में ही कम-से-कम एक उद्देश्य अवश्य होता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही कहानीकार व  नाटककार क्रमशः कहानी और नाटक की रचना करते हैं। (vi) कहानी और नाटक दोनों में ही भाषा और शैली नामक तत्त्व होते हैं। प्रश्न - 2 कहानी और नाटक में क्या अंतर है? कहानी और नाटक में क्या-क्या असम...

पत्रकारिता के विविध आयाम।Patrakarita k vivdh aayam 11 Cbse

 प्रश्न 1. समाचार क्या है ? इसकी विभिन्न परिभाषाओं पर भी प्रकाश डालिए। उत्तर - सामान्य रूप में कोई भी घटना या सूचना समाचार नहीं होती है। समाचार के रूप में उन्ही घटनाओं, मुद्दों और समस्याओं को चुना जाता है, जिन्हें जानने में अधिक-से-अधिक लोगों की रुचि होती है। इसके साथ-साथ पत्रकार और समाचार संगठन की किसी भी समाचार के चयन, आकार और उसकी प्रस्तुति का निर्धारण करते हैं। यही कारण है कि भिन्न-भिन्न समाचार-पत्रों और समाचार चैनलों में समाचार की कोई परिभाषा ही नहीं होती। किसी घटना, समस्या और विचार में कुछ ऐसी विशेषता होती है जिसके कारण उसके समाचार बनने की संभावना बढ़ जाती है। समाचार की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी गई हैं- (i) " प्रेरक और उत्तेजित कर देने वाली हर सूचना समाचार है।" (ii) "समय पर दी जाने वाली हर सूचना समाचार का रूप ले लेती है।"  (iii) "किसी घटना की रिपोर्ट ही समाचार है।" (iv) "समाचार जल्दी में लिखा गया इतिहास है।" (v) "समाचार वह है जिसे कहीं, कोई दबाने या छुपाने की कोशिश कर रहा है,बाकी सब विज्ञापन हैं।" इस प्रकार समाचार को समय-समय अनेक ढं...

Kese Banti ha kavita कैसे बनती है कविता।

 प्रश्न 1. कविता क्या है? उत्तर : इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए अनेक कवियों, साहित्यकारों, दार्शनिकों आदि ने अपने-अपने मत प्रकट किए हैं, परंतु इसकी समुचित परिभाषा नहीं दी जा सकी है। इसका मूल कारण यही है कि कविता का स्वरूप और प्रकृति अत्यंत व्यापक है और उसे परिभाषा की सीमाओं में बाँधना असंभव है। इन जटिलताओं के बाद भी यही कहा जा सकता है कि 'कविता शब्दों की वह लयपूर्ण रचना है, जो हमारी संवेदना के निकट है, हमारे मन को छू लेती है, जिसके मूल में संवेदना है, राग है और यह संवेदना संपूर्ण सृष्टि से जुड़ने, उसे अपना बना लेने का बोध कराती है। प्रश्न 2. कविता के प्रमुख घटक अथवा उपकरण कौन से हैं?  उत्तर : कविता के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं : (i) भाषा : कविता किसी-न-किसी भाषा के माध्यम से ही प्रकट होती है। अतः यह कविता का प्रमुख घटक है। कविता रचने के लिए भाषा का पूरा ज्ञान होना जरूरी है। (ii) शब्द : निस्संदेह भाषा में शब्द ही प्रयुक्त होते हैं, परंतु प्रत्येक शब्द का एक निश्चित अर्थ होता है। सभी भाषाओं में समानार्थक शब्द होते हैं। अतः कविता लिखते समय उचित शब्द, उसके सही अर्थ आदि का ज्ञान ह...

Teachers Day par speech कैसे दें।

 हैप्पी टीचर्स डे (5सितंबर): शिक्षक दिवस पर कैसे बोलें? आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय,मेरे सभी शिक्षक- गण और मेरे सहपाठियों आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। सबसे पहले मैं अपने शिक्षकों ,जिन्होंने मेरे जीवन में अमूल्य योगदान दिया उनकी हार्दिक चरण स्पर्श वंदन करता हूं। और इस सुअवसर पर कुछ शब्दों के साथ अपने विचारों को प्रकट करना चाहता हूं शिक्षक का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।वह उसे दीपक की भांति है जो खुद जलकर दूसरों को प्रकाश देता है ।  शिक्षक हमारे जीवन में अज्ञानता के अंधकार को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलता है।भारत में 5 सितंबर को सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है।  राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तिरुत्तानी शहर में एक मध्यम वर्गीय तेलुगु परिवार में हुआ था। उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज और मैसूर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में काम किया। स्वतंत्रता के बाद से वह 1962-1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। राधाकृष्णन को 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्हें नोबेल प...

कवितावली/लक्ष्मण -मूर्छा और राम का विलाप( तुलसीदास)Tulsidas:Lakshaman murcha avm ram ka vilap।

 प्रश्न 1. ‘कवितावली' से उद्धृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है। उत्तर : तुलसीदास के युग में राजतंत्र था। राजा व उसके दरबारियों के पास सबसे अधिक धन था। समाज के अधिकतर लोग निर्धन थे। उनके पास भरपेट भोजन भी नहीं होता था। तुलसीदास ने इस आर्थिक विषमता को ध्यान से देखा और उसे अपनी रचनाओं में प्रस्तुत किया। 'कवितावली' के प्रथम छंद में उन्होंने स्पष्ट किया है कि मजदूर, किसान, व्यापारी, भिखारी, चारण, नट आदि सभी लोगों के काम-धंधे चौपट हो चुके थे। वे अपना व अपने परिवार का पेट भरने के लिए शिकार करते थे, दूसरे काम-धंधे सीखने का प्रयास करते थे। पेट भरने के लिए वे अपनी ही संतान को बेच देते थे। सभी लोग यही सोचते थे कि अब वे क्या करें, कहाँ जाएँ। चूँकि तुलसीदास ने अपने छंदों में इस गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी आदि का स्पष्ट वर्णन किया है, अतः यह स्वतः स्पष्ट हो जाता है कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ थी। प्रश्न 2. पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग-सत्य ...

गलता लोहा (11th NCERT)। Galta Loha शेखर जोशी।

 प्रश्न 1. कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है? उत्तर धनराम लुहार जाति का लड़का था। वह पढ़ाई-लिखाई में कुछ कमजोर था। एक दिन स्कूल में मास्टर साहब ने जब उससे सवाल पूछा तो उसे नहीं आया। उन्होंने उसे स्पष्ट कहा कि उसके दिमाग में लोहा भरा है उसमें विद्या का ताप नहीं लग सकता। वास्तव में धनराम के पिता के पास भी इतना धन नहीं था कि वह अपने पुत्र को पढ़ा-लिखा सके। इसी कारण धनराम के थोड़ा बड़े होते ही उसने उसे अपने पुश्तैनी काम में लगा दिया था। उसने अपने पुत्र धनराम को धौंकनी फूँकने से लेकर घन चलाने का पूरा काम सिखा दिया था। इसी प्रसंग में किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का जिक्र आया है। प्रश्न - धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था? उत्तर - मोहन धनराम से कहीं ज़्यादा कुशाग्रबुद्धि था। मोहन ने कई बार मास्टर साहब के आदेश पर अपने हमजोली धनराम को बेंत भी लगाए थे और उसके कान भी खींचे थे। यह सब होने पर धनराम मोहन के प्रति ईर्ष्या भाव नहीं रखता था और न ही उसे अपना प्रतिद्वंद्वी मानता था। इसका मुख्य कारण यह था कि ...

अक्क महादेवी (वचन)Akk Mhadevi e bhukh mat machal

 (i) कविता के साथ प्रश्न 1. 'लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं। इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।  उत्तर : आँख, जीभ, मन आदि वे अंग हैं जो हमें बाहरी पदार्थ के गुणों का अनुभव कराते हैं और यह अनुभव कराने की शक्ति अत्यंत प्रबल होती है। ये इंद्रियाँ हमें बाह्य जगत् से जोड़ती हैं और इस जगत् के पदार्थों का उपभोग करने के लिए प्रेरित करती हैं। दूसरी ओर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मन पर संयम होना आवश्यक है क्योंकि लक्ष्य पाने के लिए हमें सच्ची लगन के साथ मेहनत करनी होती है। अतः जो व्यक्ति अपनी इन इंद्रियों के वश में रहता है, वह संयम के साथ मेहनत नहीं कर सकता। उसके मन में काम, क्रोध, मोह, अहंकार, लोभ, विषय-वासना आदि विकार जाग्रत हो जाते हैं। वह अपने लक्ष्य को भूलकर इन सांसारिक सुखों के पीछे भागने लगता है। ये इंद्रियाँ ही मनुष्य को मोह-माया में फँसाती हैं और उसे गहरे पतन की ओर धकेलती जाती हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई विद्यार्थी अपनी इंद्रियों के वशीभूत होकर फिल्में देखता है, इधर-उधर भटकता है, तो निश्चय ही वह शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य से भटक जाएगा। अतः संक्षेप में कहा जा सकता है क...

गजल। दुष्यंत कुमार 11th आरोह।Gajal Dushyant Kumar

अभ्यास के प्रश्नोत्तर।  प्रश्न 1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है ? समझाकर लिखें। उत्तर- निश्चित रूप से गुलमोहर ग्रीष्म ऋतु में लहलहाने वाला फूलदार वृक्ष है पर कवि ने इसके द्वारा सांकेतिक अर्थ को प्रकट किया है। यह घना छायादार पेड़ अपने घर, नगर और देश में प्राप्त होने वाले कष्टों से राहत प्राप्त होने का प्रतीक है। यह हमारे जीवन का आधार है। यह परायों के सुखों और जीवन का भी प्रतीक है। हम अपना जीवन जीते हुए दूसरों के जीवन को सुखमय बनाए ऐसा कवि चाहता है। प्रश्न 2. पहले शेर में 'चिराग' शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इस का क्या महत्त्व है ? उत्तर – कवि ने पहले शेर में 'चिरागों' शब्द का बहुवचन रूप में प्रयोग किया है जो हर घर को सरकार की ओर से दिए जाने वाली सुख-सुविधाओं का द्योतक है। दूसरी बार कवि ने 'चिराग' शब्द का एकवचन में प्रयोग किया है जो जनता को सुख आराम प्रदान करने वाली केंद्रीय सत्ता का बोध कराता है। सरकार का कार्य है...

बादल राग 12th आरोह।Badal Ragg Nirala CBSE/HBSE

 आरोह पाठ-7 सूर्यकांत त्रिपाठी निराला 1. अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों? उत्तर:- 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' क्रांति या विनाश की आशंका को कहा गया है। क्रांतिक हुंकार से पूँजीपति घबरा उठते हैं, वे अपनी सुख-सुविधा के खोने मात्र से भयभीत हो जाते हैं। उनका सुख अस्थिर है, उन्हें क्रांति में दुःख की छाया दिखाई देती हैं । क्रांति उन्हीं से कुछ चाहती है जिनके पास आवश्यकता से अधिक होता है, जो समाज की भलाई के लिए आवश्यक है और उसे खोने मात्र की आशंका उन्हें दुखी कर देती है। 2. अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?  उत्तर:- 'अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में क्रांति विरोधी गर्वीले वीरों की ओर संकेत करती है जो क्रांति के वज्राघात से घायल होकर क्षत-विक्षत हो जाते हैं। बादलों के वज्रपात से उन्नति के शिखर पर पहुँचे सैकड़ो वीर पराजित होकर मिट्टी में मिल जाते हैं। बादलों की गर्जना और मूसलाधार वर्षा में बड़े-बड़े पर्वत, वृक्ष क्षत-विक्षत हो जाते हैं। उनका अस्तित्व नष्ट ...

ऊषा 12th आरोह।

खंड 'घ' - अभ्यास के प्रश्नोत्तर। प्रश्न 1. कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि 'उषा' कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द-चित्र है?  उत्तर : इस कविता में कवि ने जिन उपमानों (प्रसिद्ध वस्तुओं) का प्रयोग किया है, वे सभी ग्रामीण समाज से जुड़े हैं। गाँवों होते ही चौके को राख से लीपा जाता है। खाना तैयार करते समय सिल का प्रयोग किया जाता है। लाल खड़िया (चाक) से घर में के सुबह मुख्य द्वार पर चित्र, शुभ प्रतीक आदि बनाए जाते हैं। ये सभी कार्य इसी क्रम में पूरे किए जाते हैं और कवि ने भी इसी क्रम में इन उपमानों का प्रयोग किया है। अतः इन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि 'उषा' कविता गाँव की सुबह का गतिशील चित्र है। प्रश्न 2. भोर का नभ  "राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है)" नई कविता में कोष्ठक, विराम चिह्नों और पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है? समझाइए । उत्तर : नई कविता के प्रयोगवादी कवियों ने अपनी कविताओं में नए-नए प्रयोग किए हैं, जैसे- कोष्ठक, विराम-चिह्न...

चंपा काले काले अच्छर नहीं चिह्नती।

प्रश्न 1. चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे ?   उत्तर - जब कवि चंपा को पढ़ने-लिखने की सीख देते हुए कहता है कि उसका पति कलकत्ता में होगा तो वह शादी के बाद कैसे उसे संदेश भेजेगी और कैसे उसके पत्रों को पढ़ेगी । तब चंपा का सारा क्रोध मानो फूट पड़ता है। वह कह देती है कि कलकत्ता पर बजर गिरे अर्थात् कलकत्ता नष्ट हो जाए। न कलकत्ता न रहेगा और न उसका पति उससे दूर जाएगा। चंपा के ऐसे विचार वास्तव में उस पलायनवादी प्रवृत्ति के विरोध में खड़े हो जाते हैं जहाँ पढ़-लिख कर लोग रोज़गार पाने के लिए महानगरों की ओर रुख कर लेते हैं। चंपा का मानना है कि न महानगर रहेंगे और न ही लोगों के घर टूटेंगे और न ही घर के लोगों को बिछुड़ने की पीड़ा सहनी पड़ेगी। प्रश्न 2. चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गाँधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी ?  उत्तर- चपा के मन में यह धारणा है कि पढ़-लिख कर आदमी अपने घर को छोड़ कर चला जाता है। इसी कारण चंपा पढ़ने-लिखने को अच्छा काम नहीं मानती। जब कवि उसे बताता है कि गांधी जी की इच्छा है कि हर व्यक्ति पढ़ना-लिखना सीखे तब चंपा को विश्वास नहीं हो पाता। उ...

अतीत में दबे पांव ( वितान)12th CBSE/HBSE

 अभ्यास के प्रश्नोत्तर | अतीत में दबे पांव। प्रश्न 1. सिंधु सभ्यता साधन संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था। कैसे?                            अथवा  साधन-संपन्न होते हुए भी सिंधु में भव्यता का आडंबर नहीं था। कैसे? उत्तर: मुअनजोदड़ो सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर था। यहाँ की खुदाई करने पर पुरातत्व के वैज्ञानिकों को सोने के आभूषण, सुइयाँ, ताँबे के बर्तन आदि मिले हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ बड़े-बड़े भवनों, इमारतों के खंडहर भी मिले हैं। यहाँ तरह-तरह की मुहरें भी मिली हैं। यहाँ की वास्तुकला या नगर-नियोजन अद्भुत है जिसमें चौड़ी सड़कें, नालियाँ, कुएँ आदि की व्यवस्था थी। यहाँ बैलगाड़ियों के प्रयोग के साक्ष्य मिले हैं। इन सभी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सिंधु सभ्यता साधनों से संपन्न थी। परंतु इस सभ्यता में भव्यता का आडंबर नहीं था। किसी भी देश में चाहे राजतंत्र हो या धर्मतंत्र की शासन व्यवस्था हो, वहाँ बड़े-बड़े महल, राजाओं या महंतों की समाधियाँ, विशाल मंदिर बनाए जाते थे। परंतु सिंधु सभ्यता में इन सभी का अभाव ह...